64 गर्भवती माताओं को मिला सुरक्षित संस्थागत प्रसव का लाभ
नारायणपुर, छत्तीसगढ़
अबूझमाड़ के दुर्गम इलाकों में मातृत्व सुरक्षा के लिए चलाया गया विशेष अभियान
निरंतर निगरानी से 37 उच्च जोखिम गर्भवती माताओं का हुआ सुरक्षित प्रसव
जिला प्रशासन की विशेष पहल से अबूझमाड़ में मातृत्व हुआ सुरक्षित
नारायणपुर, 17 अक्टूबर 2025 अबूझमाड़ क्षेत्र की प्राकृतिक संरचना, पहाड़ी भू-भाग और नदी-नालों से घिरे होने के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सीमित रही है। इसी कठिन भौगोलिक स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन नारायणपुर द्वारा गर्भवती माताओं के सुरक्षित और संस्थागत प्रसव सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलाया गया।
इस अभियान के तहत् विकासखंड ओरछा के पहुंचविहीन इलाकों में रहने वाली 64 गर्भवती माताओं का चिन्हांकन किया गया। ये वे महिलाएं थीं जो पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने के कारण स्वास्थ्य संस्थाओं तक नहीं पहुंच पा रही थीं, विशेषकर बरसात के दिनों में जब नदी-नाले उफान पर होते हैं।
कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाईं के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग एवं महिला एवं बाल विकास विभाग ने समन्वय स्थापित करते हुए अभियान को धरातल पर उतारा। चिन्हांकित गर्भवती माताओं को उनके मूल ग्रामों से निकालकर ऐसे ग्रामों में ठहराने की व्यवस्था की गई, जहां उनके रिश्तेदार रहते हैं और निकटतम स्वास्थ्य संस्था उपलब्ध है।
इस कार्य में एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानिनों की प्रमुख भूमिका रही। उन्होंने लगातार गर्भवती महिलाओं के घर जाकर संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया और प्रसव तिथि से एक माह पूर्व ही उन्हें सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कराया। इस अवधि के दौरान जिला प्रशासन द्वारा सभी चिन्हांकित महिलाओं को राशन भी उपलब्ध कराया गया। अभियान के परिणामस्वरूप अबूझमाड़ के दुर्गम ग्रामों - चालचेर, टाहकावाड़ा, जाटलूर, पिडियाकोट, घमण्डी, गोमागाल, गट्टाकाल, आदेर और भटबेड़ा, रायनार जैसे विभिन्न पहुँचविहीन इलाकों की गर्भवती माताओं का सुरक्षित संस्थागत प्रसव कराया गया।
इनमें ग्राम घमण्डी की एक गर्भवती महिला को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा प्रेरित कर ग्राम मसपुर में उसके रिश्तेदारों के घर ठहराया गया, जहां 23 अगस्त 2025 को उप स्वास्थ्य केंद्र मसपुर में उसका सफल संस्थागत प्रसव कराया गया और उसे जननी सुरक्षा योजना का लाभ भी दिया गया।
इसी प्रकार 37 उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं को भी सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया गया। इनमें से ग्राम आदेर की एक महिला, जो एनीमिया और कमजोरी से ग्रसित थी, को निरंतर आयरन-फोलिक एसिड की खुराक और पोषण संबंधी जानकारी दी गई, जिसके फलस्वरूप उसका प्रसव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ओरछा में सुरक्षित रूप से कराया गया।
यह अभियान अबूझमाड़ जैसे दुर्गम क्षेत्र में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल साबित हुआ है। प्रशासन का यह प्रयास न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ा रहा है, बल्कि दुर्गम पहाड़ियों में सुरक्षित मातृत्व की नई उम्मीद भी जगा रहा है।





